अभिषेक बच्चन बनाम Bollywood Tee Shop: डिजिटल युग में व्यक्तित्व अधिकारों की न्यायिक सुरक्षा
भारतीय सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं है, बल्कि एक सशक्त सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना का हिस्सा है, जहाँ कलाकारों की पहचान समाज के बड़े हिस्से में आदर्श के रूप में देखी जाती है। एक अभिनेता की छवि, उसका नाम, आवाज़, शैली, और यहां तक कि उसका हस्ताक्षर भी एक ब्रांड बन जाते हैं। इन सभी पहलुओं को मिलाकर जिस पहचान का निर्माण होता है, वह एक "व्यक्तित्व" कहलाता है — और यही वह क्षेत्र है जिसे क़ानून 'Personality Rights' के रूप में पहचानता है।
सितंबर 2025 में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ वेबसाइट्स, यूट्यूब चैनल्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स उनके नाम और छवि का अवैध प्रयोग कर रहे हैं। यह प्रयोग AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से निर्मित अश्लील और भ्रामक वीडियो से लेकर मग्स, पोस्टर्स और टी-शर्ट्स की बिक्री तक फैला हुआ था।
इस मुकदमे का महत्व केवल एक अभिनेता की प्रतिष्ठा की रक्षा तक सीमित नहीं था — यह मुकदमा भारत में व्यक्तित्व अधिकारों, डिजिटल निजता, और AI टेक्नोलॉजी के नियमन से जुड़े अनेक गहरे कानूनी सवालों को जन्म देता है।
व्यक्तित्व अधिकार (Personality Rights): एक विधिक दृष्टिकोण
व्यक्तित्व अधिकार किसी भी व्यक्ति के उन विशेष पहलुओं को सुरक्षा प्रदान करते हैं जो उसकी सार्वजनिक छवि को परिभाषित करते हैं — जैसे नाम, फोटो, आवाज़, स्टाइल, बॉडी लैंग्वेज, सिग्नेचर आदि। ये अधिकार मुख्यतः दो भागों में बाँटे जाते हैं:
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Right to Publicity (प्रसार का अधिकार)
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Right to Privacy (निजता का अधिकार)
भारतीय कानून में यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21, ट्रेडमार्क अधिनियम 1999, और कॉपीराइट अधिनियम 1957 की समवेत व्याख्याओं के तहत संरक्षित माने जाते हैं। साथ ही, Passing Off और Misappropriation of Likeness जैसे कॉमन लॉ सिद्धांत भी इन पर लागू होते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले के निर्णयों में इन अधिकारों को समर्थन देते हुए कहा है कि कोई भी सेलिब्रिटी अपने 'पब्लिक पर्सोना' पर नियंत्रण रखता है और उसका बिना अनुमति प्रयोग अनुचित और अवैध है।
मामले की पृष्ठभूमि
अभिषेक बच्चन ने याचिका के माध्यम से दावा किया कि:
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उनकी पहचान, जिसमें नाम, फोटो, आवाज़ और हस्ताक्षर शामिल हैं, का व्यावसायिक उपयोग विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्म्स कर रहे हैं।
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AI का प्रयोग करके भ्रामक, झूठी और कभी-कभी अश्लील वीडियो सामग्री बनाई जा रही है।
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ई-कॉमर्स साइट्स उनकी छवि वाले मग्स, टी-शर्ट्स और अन्य मर्चेंडाइज बेच रही हैं।
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इससे न केवल उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हो रहा है, बल्कि उनकी ब्रांड वैल्यू और आय के प्रमुख स्रोत को भी नुकसान पहुँच रहा है।
प्रतिवादियों की सूची और उनके कार्य
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Defendants 1–9: वेबसाइट्स और विक्रेता जो उनकी तस्वीर, नाम या सिग्नेचर वाले टी-शर्ट्स, मग्स, पोस्टर बेच रहे थे।
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Defendants 10–14: यूट्यूब चैनल्स जिन्होंने AI आधारित झूठी और कभी-कभी अश्लील वीडियो तैयार की।
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Defendant 15: Google LLC – जो YouTube का स्वामी है।
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Defendants 16–17: भारत सरकार की एजेंसियाँ – Ministry of Electronics & Information Technology और Department of Telecommunications।
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Defendant 18: John Doe / अज्ञात व्यक्ति जिनकी पहचान अभी नहीं हो पाई है।
प्रमुख विधिक मुद्दे
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क्या किसी व्यक्ति के नाम और छवि का व्यावसायिक उपयोग उसकी अनुमति के बिना किया जा सकता है?
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क्या AI से बनी सामग्री, जो व्यक्ति को बदनाम करती हो, कानूनन रोकी जा सकती है?
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डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे YouTube की क्या जिम्मेदारी बनती है?
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क्या 'John Doe' प्रतिवादियों के खिलाफ कार्रवाई करना उचित है?
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क्या यह मामला 'Passing Off' की श्रेणी में आता है?
अभिषेक बच्चन की दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रवीण आनंद ने निम्नलिखित तर्क रखे:
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अभिषेक बच्चन एक प्रतिष्ठित अभिनेता हैं और उन्होंने अपने नाम व छवि पर वर्षों से विश्वास व गुणवत्ता का ब्रांड बनाया है।
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उनकी छवि का बिना अनुमति उपयोग उनकी प्रतिष्ठा, आर्थिक हितों और अनुबंधिक जिम्मेदारियों को प्रभावित करता है।
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AI से निर्मित वीडियो और अश्लील कंटेंट ने उनकी गरिमा को नुकसान पहुँचाया है।
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उनके नाम पर बिक रहे उत्पाद घटिया गुणवत्ता के हो सकते हैं, जिससे उनकी छवि धूमिल होती है।
पूर्व न्यायिक उदाहरणों का हवाला
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Anil Kapoor v. Simply Life Indiaकोर्ट ने माना कि सेलिब्रिटी की पहचान का व्यावसायिक दुरुपयोग उसके जीविकोपार्जन के अधिकार का उल्लंघन है।
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Amitabh Bachchan v. Rajat Nagiमाननीय न्यायालय ने अंतरिम आदेश देते हुए प्रतिवादियों को बिग बी की छवि का प्रयोग करने से रोका।
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Aishwarya Rai Bachchan v. Aishwaryaworld.comकोर्ट ने AI से उत्पन्न अश्लील सामग्री पर रोक लगाते हुए उनके व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की।
दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश
न्यायालय ने अंतरिम आदेश में स्पष्ट रूप से निम्नलिखित बातें कहीं:
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प्रतिवादी 1 से 14 और अज्ञात व्यक्तियों को उनके नाम, छवि, आवाज़, सिग्नेचर आदि के किसी भी प्रकार के प्रयोग से रोका जाता है।
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सभी वेबसाइट्स और यूट्यूब चैनल्स को 72 घंटे में उल्लंघनकारी URLs हटाने का आदेश।
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Google, Amazon जैसे प्लेटफॉर्म को संबंधित यूजर्स की जानकारी सीलबंद रूप में कोर्ट में जमा करनी होगी।
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भारत सरकार की एजेंसियों को URL ब्लॉक करने के लिए निर्देशित किया गया।
AI और कानून: एक नई चुनौती
AI, Deepfake, Face Morphing जैसी तकनीकों के आगमन ने जहां रचनात्मकता को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, वहीं निजता, गरिमा और छवि की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। यह केस इस खतरे को उजागर करता है और भारतीय न्यायपालिका द्वारा इस पर सशक्त प्रतिक्रिया दर्शाता है।
Passing Off और Misrepresentation
कोर्ट ने यह भी माना कि इस प्रकार का उपयोग उपभोक्ताओं को भ्रमित करता है कि यह उत्पाद/कंटेंट अभिषेक बच्चन द्वारा अधिकृत है। यह 'Passing Off' के तहत आता है और इससे अभिनेता की छवि के साथ-साथ आम जनता को भी धोखा होता है।
यह केस भारत में व्यक्तित्व अधिकारों, डिजिटल निजता, और AI के दुरुपयोग के संदर्भ में एक ऐतिहासिक उदाहरण के रूप में स्थापित हुआ है। इसमें न्यायपालिका ने स्पष्ट कर दिया कि:
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सेलिब्रिटीज के पास अपने नाम, छवि और पहचान पर पूर्ण अधिकार है।
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AI आधारित सामग्री भी कानून के दायरे में है।
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डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भी जवाबदेही तय की जा सकती है।
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गरिमा और प्रतिष्ठा की रक्षा डिजिटल युग में भी आवश्यक है।
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