भारत में वसीयत लिखना एक ऐसा काम है जिसके बारे में लोग सोचते तो बहुत हैं, पर करते कम हैं। हमें हमेशा लगता है कि अभी तो बहुत समय है, अभी से वसीयत क्यों लिखें? लेकिन एक वरिष्ठ वकील होने के नाते मैं आपको बता सकता हूँ कि कोर्ट में पहुँचने वाले पारिवारिक विवादों का सबसे बड़ा कारण “वसीयत न होना” है। और दुख की बात यह है कि ये झगड़े उन्हीं परिवारों में होते हैं जहाँ लोग एक-दूसरे के लिए अपनी जान तक दे सकते थे — लेकिन लिखित क़ानूनी व्यवस्था न होने की वजह से रिश्ते टूट जाते हैं। इसीलिए, वसीयत सिर्फ़ एक legal document नहीं है, यह परिवार में स्थिरता, स्पष्टता और रिश्तों की रक्षा करने वाला एक भावनात्मक सुरक्षा कवच भी है।
भारत में वसीयत बनाना बेहद आसान है। पर लोग दो कारणों से वसीयत लिखने से दूर रहते हैं — पहला, उन्हें लगता है कि यह बहुत मुश्किल कानूनी प्रक्रिया है; दूसरा, उन्हें डर लगता है कि कहीं वसीयत को challenge न कर दिया जाए। जबकि सच बहुत सरल है: भारत का Indian Succession Act, 1925 वसीयत बनाने की प्रक्रिया को बेहद सीधा और सरल रखता है, ताकि कोई भी व्यक्ति स्वयं अपनी वसीयत लिख सके। इसके लिए न आपको किसी बड़े वकील की जरूरत है, न नोटरी की, और न ही बड़े पैसे खर्च करने की। बस सही “niyat”, स्पष्ट “इच्छा” और कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों की आवश्यकता होती है।
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पूरे लेख में वो सब कुछ बताऊंगा, जो आपको एक legally valid, सुरक्षित, challenge-proof, और परिवार के लिए उपयोगी वसीयत बनाने में मदद करेगा। बात करेंगे कि वसीयत क्या है, खुद से कैसे लिखी जा सकती है, किन शब्दों का उपयोग करना चाहिए, किन गलतियों से बचना चाहिए, गवाह कैसे होने चाहिए, और रजिस्ट्रेशन करवाना फायदेमंद क्यों है। साथ ही, मैं आपको real-life situations से समझाऊँगा कि किस तरह एक अच्छी और स्पष्ट वसीयत परिवार को अदालतों के चक्कर से बचा सकती है।
भारत में वसीयत के लिए सबसे बड़ी कानूनी शर्त यह है कि यह व्यक्ति की “free will” यानी स्वतंत्र इच्छा से बनाई गई हो, किसी दबाव, धोखे या गलत प्रभाव में नहीं। Indian Succession Act की धारा 2(h) वसीयत को “ऐसा कानूनी बयान” कहती है जिसमें व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति का बँटवारा कैसे होना चाहिए, यह स्पष्ट करता है। इसका मतलब यह है कि जब तक आपकी मानसिक स्थिति स्वस्थ है, आप 18 वर्ष से ऊपर हैं, और अपने निर्णय खुद ले सकते हैं, आप वसीयत लिख सकते हैं — चाहे आपके पास बहुत संपत्ति हो, या बिल्कुल कम।
अब यहाँ एक महत्वपूर्ण गलतफ़हमी दूर करना जरूरी है: वसीयत में आप केवल संपत्ति ही नहीं, बल्कि भावनाएँ, आशीर्वाद, इच्छाएँ और परिवार के लिए विशेष निर्देश भी लिख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ लोग अपनी बेटी को शिक्षा के लिए एक फिक्स्ड अमाउंट देते हैं, या किसी बेटे को परिवार के बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी सौंपते हैं। कुछ लोग अपनी वसीयत में charity या donation भी जोड़ते हैं। ये सब पूरी तरह से वैध है, बशर्ते wording स्पष्ट हो और किसी पर अनावश्यक बोझ न डाला गया हो।
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अब बात आती है कि वसीयत खुद से कैसे लिखें। इसे लेकर लोगों में हमेशा अनिश्चितता होती है। पर सच्चाई यह है कि वसीयत बनाने के लिए आपको किसी lawyer या typed document की आवश्यकता नहीं — आप normal A4 paper पर, अपनी भाषा में, readable handwriting में भी लिख सकते हैं। Court केवल एक चीज़ देखता है — क्या यह आपकी स्वतंत्र इच्छा है और क्या यह कानूनी रूप से valid है। इसके लिए आपको अपनी पहचान, अपनी संपत्ति, अपने कानूनी वारिस, अपने beneficiary, अपने executor और अपने अंतिम निर्णय को स्पष्ट शब्दों में लिखना होता है। यही simple structure वसीयत को challenge-proof बनाता है।
एक example से समझाता हूँ। जहाँ पिता की दो पत्नियाँ थीं और दोनों परिवार के बच्चों का बराबर अधिकार था। पिता ने वसीयत नहीं लिखी थी। उनकी मृत्यु के बाद जमीन, मकान और बैंक बैलेंस को लेकर ऐसा विवाद खड़ा हुआ कि दोनों पक्षों के 9 साल कोर्ट में केसेज़ चले। अंत में कोर्ट ने कानून के अनुसार सबको बराबर हिस्सा बाँटा, लेकिन रिश्ते हमेशा के लिए टूट चुके थे। अगर पिता ने 3 पन्नों की एक साधारण वसीयत भी लिखी होती, तो पूरा परिवार इस दर्दनाक स्थिति से बच सकता था। इसीलिए, जब लोग पूछते हैं — “क्या वसीयत बनानी जरूरी है?” मैं कहता हूँ — अगर आप भविष्य में अपने परिवार को सम्मान, शांति और सुरक्षा देना चाहते हैं, तो हाँ, यह जरूरी है।
अब बात करते हैं सावधानियों की, क्योंकि सही सावधानियां वसीयत को legally solid बनाती हैं। पहली सावधानी यह है कि वसीयत में ambiguity यानी अस्पष्टता न हो। जैसे “मेरी संपत्ति मेरे बच्चों को मिले” — यह एक अस्पष्ट वाक्य है। कौन सा बच्चा? कितना हिस्सा? कौन-सी संपत्ति? Court ऐसी वसीयत को “uncertain” बोलकर अमान्य भी घोषित कर सकता है। इसी वजह से वसीयत में clarity सर्वोपरि है — जैसे “मेरी अचल संपत्ति, मकान संख्या 42, XYZ Nagar, Lucknow, मेरा बेटा अजय कुमार को मेरी मृत्यु के बाद मिले।” यह स्पष्ट है और legally sound है।
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दूसरी सावधानी — beneficiary को गवाह न बनाएं। Indian Evidence Act भी कहता है कि जिस व्यक्ति को लाभ मिल रहा हो, वह गवाह नहीं बन सकता। इससे वसीयत suspicious बन जाती है।
तीसरी सावधानी — signature की जगह और तारीख ठीक से लिखनी चाहिए। वसीयत बनाते समय दिनांक, समय, स्थान — तीनों महत्वपूर्ण हैं। इससे भविष्य में कोई भी यह दावा नहीं कर सकता कि वसीयत किसी और समय या किसी और परिस्थिति में बनाई गई थी।
चौथी सावधानी — वसीयत पर दो गवाह होने चाहिए, जो आपकी उपस्थिति में आपके sign को देखें। यह Indian Succession Act की स्पष्ट शर्त है। यहाँ लोग अक्सर गलती करते हैं कि गवाह तो बना देते हैं लेकिन वह गवाह बाद में मिल ही नहीं सकता। इसलिए विश्वसनीय गवाह चुनना चाहिए।
पाँचवी सावधानी — medical certificate। यह आवश्यक नहीं है, लेकिन बुजुर्ग लोगों के लिए “sound mind certificate” future disputes से बचा सकता है।
अब रजिस्ट्रेशन पर आते हैं। भारत में वसीयत का registration compulsory नहीं है। Unregistered will भी 100% valid होती है। फिर भी, हमेशा अपने क्लाइंट को registration करवाने की सलाह देता हूँ, क्योंकि इससे दो बड़े फायदे मिलते हैं — पहला, वसीयत सुरक्षित government record में रहती है, खोने का डर नहीं; दूसरा, कोई यह दावा नहीं कर सकता कि यह forged या fake है। Registration Indian Registration Act, 1908 की धारा 18 के तहत optional है, लेकिन एक registered will को court हमेशा अधिक weightage देता है। Registration की प्रक्रिया भी बहुत आसान है: आपको अपनी original will, अपने गवाहों, अपना Aadhaar, फोटो और address proof लेकर Sub-Registrar Office जाना होता है। फीस नाममात्र की होती है।
आप यह सोच रहे होंगे कि वसीयत कब बदल सकते हैं? तो जवाब है — कभी भी। जब तक आप ज़िंदा हैं और mental soundness में हैं, आप “codicil” के माध्यम से पुरानी वसीयत में बदलाव कर सकते हैं या नई वसीयत बनाकर पुरानी को cancel कर सकते हैं।
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अब सवाल आता है — digital will क्या valid है? तो वर्तमान कानून के अनुसार E-sign की गई will valid नहीं मानी जाती। वसीयत को physical sign करना अनिवार्य है। यह कानून भविष्य में बदल सकता है, लेकिन अभी traditional paper will ही मान्य है।
अंत में, सिर्फ़ एक बात — वसीयत बनाना एक कानूनी दस्तावेज़ से कहीं अधिक है। यह आपके परिवार के लिए आपकी अंतिम gift है। यह आपके जीवन की कमाई को सही हाथों में सुरक्षित पहुँचाने का तरीका है। यह भविष्य में अनजाने विवादों को रोकने वाली दीवार है। यह एक भावनात्मक संदेश है कि आपने अपने परिवार के लिए केवल आज नहीं, बल्कि अपनी अनुपस्थिति में भी सोचकर निर्णय लिया।
