भारत के कर कानून में वर्षों से एक बहस चल रही थी कि क्या अचल संपत्ति की बिक्री या स्वामित्व के हस्तांतरण पर सेवा कर (Service Tax) लगाया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इस भ्रम को दूर करते हुए कहा कि जब किसी व्यक्ति द्वारा अचल संपत्ति का स्वामित्व या शीर्षक (Ownership/Title) किसी अन्य व्यक्ति को पूरी तरह से हस्तांतरित कर दिया जाता है, तो वह लेन-देन सेवा नहीं, बल्कि बिक्री (Sale) कहलाता है, और इस पर सेवा कर नहीं लगाया जा सकता।
सेवा कर (Service Tax) की पृष्ठभूमि और अचल संपत्ति से जुड़ा विवाद
सेवा कर को 1994 के वित्त अधिनियम (Finance Act, 1994) के तहत लागू किया गया था, ताकि विभिन्न प्रकार की सेवाओं पर कर वसूला जा सके। लेकिन अचल संपत्ति (जैसे भूमि, भवन, या फ्लैट) से संबंधित लेन-देन में यह सवाल उठता रहा कि — क्या संपत्ति बेचने या खरीदने की प्रक्रिया “सेवा” के अंतर्गत आती है?
धारा 65B(44) के अनुसार: “सेवा का अर्थ है – किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति के लिए किसी गतिविधि का प्रतिफल स्वरूप किया गया कार्य, परंतु इसमें वस्तु या अचल संपत्ति का शीर्षक हस्तांतरण (transfer of title in goods or immovable property) शामिल नहीं होगा।”
इसका स्पष्ट मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का स्वामित्व पूर्ण रूप से किसी अन्य को दे देता है, तो यह “सेवा” नहीं बल्कि संपत्ति का विक्रय है। इसलिए उस पर "Service Tax" नहीं लग सकता।
सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय की विस्तृत व्याख्या
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी प्रकार के कर को तभी लगाया जा सकता है जब कानून में उसका स्पष्ट प्रावधान हो। जब किसी संपत्ति का स्वामित्व (Ownership) और कानूनी अधिकार (Legal Title) पूरी तरह हस्तांतरित हो जाता है, तब यह “सेवा” की परिभाषा में नहीं आता।
कानूनी आधार – धारा 65B(44) और अचल संपत्ति की परिभाषा
वित्त अधिनियम की धारा 65B(44) में स्पष्ट किया गया है कि "सेवा" में निम्नलिखित शामिल नहीं हैं:
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वस्तु (Goods) या अचल संपत्ति (Immovable Property) का शीर्षक हस्तांतरण;
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केवल लेन-देन जो वास्तविक सेवा के रूप में हो (जैसे उपयोग अधिकार देना या सुविधा प्रदान करना)।
रियल एस्टेट क्षेत्र में इस फैसले का व्यापक प्रभाव
इसके प्रमुख प्रभाव निम्न हैं:
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स्पष्टता और पारदर्शिता: अब लेन-देन में कर को लेकर भ्रम खत्म होगा।
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कानूनी विवादों में कमी: कर विभाग और बिल्डर्स के बीच चल रहे कई मामलों का निपटारा इस निर्णय से हो सकेगा।
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खरीदारों को राहत: प्रॉपर्टी खरीदते समय अब अतिरिक्त सेवा कर देने की जरूरत नहीं होगी।
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विकास परियोजनाओं में सुगमता: डेवलपर्स अब कर नीति को ध्यान में रखते हुए बेहतर योजनाएं बना पाएंगे।
सेवा कर बनाम स्वामित्व हस्तांतरण – अंतर को समझें
| प्रकृति | सेवा कर लागू? | उदाहरण |
|---|---|---|
| स्वामित्व का पूर्ण हस्तांतरण (Transfer of Title) | ❌ नहीं लागू | Registered Sale Deed के माध्यम से संपत्ति बेचना |
| उपयोग का अधिकार देना (Right to Use Property) | ✅ लागू | किसी कंपनी को ऑफिस के लिए लीज पर देना |
| विकास अधिकार देना (Development Right Transfer) | ⚠️ निर्भर स्थिति पर | बिल्डर को जमीन पर निर्माण का अधिकार देना |
यह तालिका बताती है कि कर लगाने का निर्णय लेन-देन की प्रकृति पर निर्भर करता है — स्वामित्व बदला या केवल उपयोग का अधिकार दिया गया।
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उदाहरणों के माध्यम से समझें सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
🔹 उदाहरण 1: पूर्ण स्वामित्व हस्तांतरण
यदि कोई व्यक्ति अपनी जमीन को किसी अन्य को Registered Sale Deed के माध्यम से बेच देता है, तो यह एक पूर्ण स्वामित्व हस्तांतरण है। इस पर "Service Tax" नहीं लगाया जा सकता।
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🔹 उदाहरण 2: संपत्ति को किराये पर देना
यदि वही व्यक्ति वही संपत्ति किसी कंपनी को किराये पर देता है, तो यह “Renting of Immovable Property Service” के अंतर्गत आएगा, जिस पर Service Tax (या अब GST) लागू होगा।
कानूनी सावधानियाँ और व्यावहारिक पहलू
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पंजीकृत दस्तावेज जरूरी: केवल “Agreement to Sell” या “Power of Attorney” से स्वामित्व नहीं बदलता। इसके लिए Registered Conveyance Deed अनिवार्य है।
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Development Rights अलग माने जाएंगे: यदि कोई डेवलपर किसी भूमि के विकास का अधिकार लेता है, तो यह स्थिति कर योग्य सेवा मानी जा सकती है।
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Stamp Duty और Registration Fees पर असर नहीं: सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय केवल Service Tax पर लागू है, न कि अन्य करों पर।
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GST युग में भी प्रासंगिकता: यह फैसला भले ही पुराने Service Tax कानून से संबंधित है, लेकिन इसकी व्याख्या GST कानून की सेवाओं की परिभाषा में भी उपयोगी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के तर्क और संवैधानिक व्याख्या
अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि भारत का संविधान अनुच्छेद 265 यह स्पष्ट करता है कि — “किसी भी कर को केवल कानून द्वारा ही लगाया जा सकता है।” इसलिए जब कानून स्वयं यह कहता है कि “अचल संपत्ति के स्वामित्व हस्तांतरण” को सेवा नहीं माना जाएगा, तो उस पर सेवा कर लगाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।
यह निर्णय न्यायिक पारदर्शिता (Judicial Clarity) और कर न्याय (Tax Justice) का उदाहरण है।
विशेषज्ञों की राय – क्यों यह निर्णय ऐतिहासिक है
कई कर विशेषज्ञों और वकीलों का मानना है कि यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर में कर भ्रम (Tax Confusion) को दूर करेगा। यह निर्णय एक नज़ीर (Precedent) बनेगा, जिससे भविष्य में संपत्ति से जुड़े कई विवाद सुलझ सकेंगे। साथ ही, यह फैसला कर प्रणाली में पारदर्शिता और निश्चितता (Certainty) लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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निष्कर्ष – संपत्ति कर कानून में नई स्पष्टता का युग
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस सिद्धांत को दृढ़ता से स्थापित करता है कि — “अचल संपत्ति में स्वामित्व का हस्तांतरण सेवा नहीं है, इसलिए इस पर सेवा कर नहीं लगाया जा सकता।”
Download Judgment: CIVIL APPEAL NO(S). 11744 – 11745 OF 2025
